Saturday, November 30, 2019

कर भला, हो भला A Beautiful Hindi Story with Real Story








एक छोटे-से शहर में, एक छोटा-सा बच्चा दरवाजे- दरवाजे
भटकता, कुछ छोटी-मोटी चीज़ं बेचता था, ताकि वह अपनी
पडाई जारी रख सके। एक दिन भरी दोपहर में चलते-चलते वह चककर
निदाल हो गया। उस दिन उसका सामान भी न बिका था उसे इतनी जार
का भूख लग आई थी कि एक कदम और चलना दूभर था। उसने जैव में
हाय डाला, तो पाया कि जेब में मात्र एक दस पैसे का सिक्का था, जिसर
कुछ भी खरीद पाना मुमकिन न था। भूख के हावो लाचार यालक ने सोचा
कि अगर जीना है, तो अगते घर से रोटी मांगकर खाना होगा।
इसी निर्णय के साथ वह थोड़ा साहस जुटाकर आगे बदा एक घर
के आगे रुका और इसी इरादे के साथ दरवाजे पर दस्तक दी। एक भद्र
महिला ने दरवाज़ा खोला और सवाल किया- 'बोलो वेटा ।" 





महिला को सामने देखकर इतनी देर से भूख से जुझ रहे बालक का
आत्म सम्मान जागृत हो उठा। उसने रोटी मंगिने की वजाय सिर्फ एक
गिलास पानी मांग लिया। उस महिला ने बह़े प्यार से बालक को बिठाया
और अंदर चली गई। बालक की उस निदाल हालत को देखकर महिला
ने अंदर से पानी के स्थान पर एक बडे गिलास में दूध लाकर उस मासूम
बच्चे को धमा दिया। चकित बालक ने पहले तो उस दयालु महिला का
चेहरा देखा और विना कुछ कहे
धीरे-धीरे दूध पी गया। उसकी
औखों में आदर और कृतज्ञता
का भाव भर अया था। उसने
बहुत ही विनम्रता से उस
महिला से सवाल किया- '





इस
दूध के लिए मुझे आपको
कितने पैसे चुकाने हैं?
"इस दूध के लिए तुम्हें
कुछ भी नहीं चुकाना होगा, महिला ने मुस्कराते हुए बालक के सर पर हाथ
फैरते हुए कहां- 'हमें हमारे कुजुगों ने सिखाया है कि एक-दूसरे के प्रति
क्रिए गए प्रेम और सदाशयता के किसी भी काम के लिए किसी भी तरह की
कीमत की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
कृतज्ञ बालक उस महिला को निहारता चला गया। बहत लये समय
बाद यह दयालु महिला एक बहुत गंभीर और अबूझ-सी बीमारी का शिकार
हो गई। उस शहर के डॉवटर जय उसका इलाज कर हार चुके, तो उन्होंने
राजधानी जाकर वहा के एक विशेषज्ञ डॉक्टर, जो इन कठिन बीमारियों के
इलाज के लिए प्रसिद्ध था, से ऑपरेशन करवाने की सताह दी। 





महिला को राजधानी के एक बड़े अस्पताल में भ्ती करवाया गया।
उस प्रसिद्ध डॉयटर के सामने मरीज़ के कागजात लाए गए और बताया गया।
कि वो किस शहर से आई है, तो डॉक्टर की आखों में एक चमक-सी आ
गई। उसने महिला का ऑपरेशन किया। देखभाल की । और बिल्कुल वंगा
कर दिया। नया जीवन पाकर महिता बहुत खुश थी। उसने अस्पताल के
स्टाफ से जब भुगतान के लिए विल मांगा, तो कुछ देर दाद उसके हाथ में
एक लिफाफा [धमा दिया गया । अपनी बीमारी में पहले ही देर सारा रुपया
खर्च कर चुकी महिला ने घह़कते दिल से लिफाफे से विल निकाला। मगर
यह वया? उस लिफाफे में विल की जगह एक चिट्ठी थी। विट्ठी में लिखा
था- 'बिल का भुगतान बरसों पहले हो चुका एक गिलास दूध।' 





नीचे
दस्तरखत थे- आपका दूध वाला बच्चा, जो आज डॉक्टर है। 





सबक :- Moral





 किसी के प्रति प्रेम और सदाशयता से हाथ बढ़ाते समय
किसी मूल्य की अपेक्षा करना मूर्खता है। प्रेम और
सदाशयता का मूल्य सिर्फ प्रेम और सदाशयता हैी हैं, जो
हाथ की हाथ भले ही आपको न मिले, लेकिन वह बहगुणित
होकर बहुत लोगो के बीच बंट ज़रूर जाता है। अऔीर कभी-
कभी जब उस बंटवारे में उसका फल आपको मिलता है,
तब वह अमूल्य हो जाता है।


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