कुछ भी पाने के लिए लगातार प्रयास करते रहना और लक्ष्य को पाने की जिद पालना जरूरी है। तिहास हमें यह बताता है कि हर जीत के पहले एक संघर्ष होता है। चाहे वह संघर्ष हमारी आजादी का हो या अमेरिका की या फिर वह सिकंदर महान की विजय गाथा हो, कोई भी बड़ी सफलता आसानी से नहीं मिलती। भारत में भी आजादी की पहली जंग का शंखनाद 1857 में फूंका गया था, लेकिन आजादी मिली पूरे 90 साल बाद यानी 1947 में। समझने बात यह है कि कुछ भी पाने के लिए लगातार यास करते रहना और पाने की जिद पालना बहुत जरूरी है।
इतिहास में सिकंदर की भारत विजय गाथा में राजा पोरस के साथ हुई उसकी लड़ाई इसका एक उदाहरण है। सिंधु की लड़ाई उन अंतिम लड़ाइयों में थी जो सिकंदर ने लड़ी थीं। इस लड़ाई में पोरस के पास पचास हाथी थे और सिकंदर के पास घोड़ों की सेना थी और घोड़े हाथियों को देख कर भागने लगते थे। फिर सिंधु नदी अपने आप में एक चुनौतीपूर्ण कठिनाई थी, क्योंकि घोड़े पर बैठकर अपने हथियार और ढाल से सुज्जजित सैनिकों के लिए इसको पार करना मुश्किल था।
और, इसके दूसरी ओर पोरस के सैनिक घात में बैठे थे। इस मुसीबत पर विजय पाने के लिए सिकंदर ने जाड़ों तक इंतजार किया और जब पोरस को उम्मीद थी कि सिकंदर की सेना कड़ाके की ठंड में वापस चली जाएगी, सिकंदर की सेना ने नदी को उस समय पार किया जब वह जम गई थी। यह सिकंदर की जिद का ही नतीजा था कि उसे दुर्गम मौसम और परिस्थितियों में भी जीत हासिल हुई।
दुनिया बदलने का ख्वाब देखने वालों के लिए जरूरी होता है उनमें थोड़ी जिद का होना। बड़ी परेशानियों को भी छोटा समझना और विफलताओं को सबक की तरह समझने से ही दुनिया जीतने का सपना पूरा होता है। - लेखक नेतृत्व प्रशिक्षण संस्था लीडकैप के संस्थापक हैं।
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