प्रतिबद्धता का भाव आपके पूरे चरित्र को बदलकर रख देगा। आपको अंदर और बाहर से बेहद अनुशासित और व्यवस्थित कर देगा। वार के उन्हीं हिस्सों में कीड़े-मकोड़ों का निवास होता है जहां छेट होते हैं और वहीं से दीवार के गिरने की शुरुआत होती है। जिस जगह बांध सबसे कमजोर होता है, बहीं से पानी रिसता है, जो बाद में बांध टूटने का कारण बनता है। अगर किसी घर में सांप या चूहे को घुसना है, तो वह वहां से घुस पाएगा जहां से घुसने के लिए उसे थोड़ी सी जगह मिल पाएगी।
दीवार पर बन गए एक छेद या बांध के कमजोर हिस्से या मकान में हो गए एक छिद्र की तरह ही प्रतिबद्धता की कमी भी है, जो निश्चित रूप से हमारी अपनी कमजोरी का कारण बनता है। इस कमजोरी के लिए पूरी तरह हम ही जिम्मेदार होते हैं। एक प्रतिबद्ध मन कर्म के सिवाय और कुछ सोचता ही नहीं। वह कर्म से भागने के तरीके तो सोचेगा ही नहीं। यदि वह कुछ सोचेगा भी, तो सिर्फ यही कि कर्म को कैसे और अधिक सरल, अधिक उपयोगी बनाया जाए, ताकि सफलता मिल सके।
प्रतिबद्ध होना सीखिए। बड़ी चीजों के प्रति बाद में, छोटी-छोटी चीजों के प्रति पहले। ये छोटी-छोटी प्रतिबद्धताएं ही आफ्को बाद में बड़ी प्रतिबद्धताओं की ओर ले जाएंगी। प्रतिबद्धता का भाव आपको अंदर और बाहर से बेहद अनुशासित और व्यवस्थित कर देगा। यह कल से या आज से नहीं बल्कि अभी से ही करने की बात है। आप एक निर्णय ले लीजिए और फैसला कीज़िए कि उस निर्णय को पूरा करना ही है। इस बारे में मुझे कोई भी समझौता नहीं करना है। और उसे करने में लग जाइए।
आप देखेंगे कि आपके अंदर के अन्य सारे विचार थम गए हैं। विचार तो हैं, वे रुक गए हैं, ठीक वैसे ही, जैसे राजा की सवारी निकलने पर किनारे राहगीर अपने-अपने स्थानों पर थम जाते हैं। जब करने के लिए कुछ होता है, तब सोचने के लिए कुछ नहीं रहता।
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