सार्थक जीवन के लिए हृदय को पवित्र बनाए
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छोटी-छोटी तकलीफो की वजह से हर चिंता में मत पड़े रहो। धैर्य रखो, यही मौलिक शक्तिदायक औषधि है। जो कुछ तुम खाते हो, जो कुछ तुम देखते हो, कुछ सुनते हो और जो इंद्रियों द्वारा ग्रहण करते वह सब तुम्हारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है बाहरी जगत से तुममें तीन प्रकार की प्रतिक्रियाएं होती हैं तन प्रकार के मनुष्य होते हैं, जिनमें एक प्रतिक्रिया की अपेक्ष दूसरी प्रबल रहती है।
जिस प्रकार रुई जिस चीज में भ इसे डुबोया जाता है उसे वह अपने में सोख लेती है। पत्थर, जिस पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं होता तथा मक्खन, जो दूसरों के संसर्ग में बदलता रहता है, चाहे हल्की ऊष्णता ही क्यों न हो। मक्खन के प्रकार के मनुष्य दूसरों के सुखों या दुखों में सहानुभूति से तत्काल द्रवित हो जाते हैं।
इसलिए मैं कहता हूं कि छोटी-छोटी तकलीफों की वजह से मानसिक रोगियों के समान हमेशा चिंता में मत पड़े रहो। धैर्य रखो, यही मौलिक शक्तिदायक औषधि है, समय से पहले हार मत माना।
लंबा जीवन ही सब कुछ नहीं, यदि तुम और, और जीते रहो तो एक समय आएगा कि तुम प्रभु से प्रार्थना करोगे कि वह तुम्हें उठा ले तथा इस दुख का अंत करे।
तुम उसकी निंदा करना भी आरंभ करते हो कि उसने तुम्हारी उपेक्षा की तथा अन्य अधिक सौभाग्यशाली लोगों को मृत्युरूपी वरदान दिया। जीवन के वास्तविक उद्देश्यों की प्राप्ति के प्रयासों की असफलता और सफलता की चिंता अवश्य करो।
तब तुम्हारी इस मनोकामना की वांछित पूर्ति हो सकेगी। मुझे दूर मत मानो, मुझे अपने बिल्कुल समीप जानो। मुझसे प्रसाद पाने का आग्रह करो, मांग करो और दावा करो।
मेरी प्रशंसा मत करो, चापलूसी मत करो और ठकुरसुहाती मत करो। अपने हृदय को मेरे पास लाओ। अपनी प्रतिज्ञाएं मेरे पास लाओ, लेकिन पहले परख लो कि तुम्हारी प्रतिज्ञाएं सही हैं, सच्ची हैं, अपने हृदय को पवित्र बना लो, तभी जीवन सार्थक होगा। श्री सत्यसाई
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