Saturday, November 30, 2019

समस्या का सामना करने से बनती है बात | Samasya Ka Saamana Karane Se Banatee Hai Baat



Samasya Ka Saamana Karane Se Banatee Hai Baat





समस्याओं से भागने से वे आपसे दूर नहीं होतीं, बल्कि दुगने जोर के साथ वापस आती हैं। मैं जब ग्यारहवीं कक्षा में था, तो मुझे अपनी साइंस की किताब खोलना बिलकुल नहीं सुहाता था और मैं हमेशा अपने पसंदीदा विषय गणित में ही लगा रहता था। मुझे गणित के सवाल करना अच्छा लगता था, पर मैंने साइंस के बारे में कभी ध्यान नहीं दिया। जब परीक्षा नजदीक आई, तो मुझे घबराहट होने लगी और मुझे इस विषय की तैयारी के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी। 





आप में से बहुत से लोग भी अपनी नापसंद चीजों और समस्याओं से बचने के लिए ऐसा ही कुछ करते होंगे। जब आप समस्याओं से दूर भागते हैं, तो इसका हांगेज यह मतलब नहीं कि वे भी आपसे दूर हो जाती हैं, बल्कि वे तो वापस आकर और ज्यादा ताकत से आपके दरवाजे पर दस्तक देती हैं। मैं साइंस की पढ़ाई से कतराता था, लेकिन परीक्षाएं करीब आने पर मैंने महसूस किया कि महज नापसंदगी के आधार पर मैं इससे बच नहीं सकता। 





हमेशा याद रखें:- 





(1) समस्याओं से कभी न भागें। कुछ देर शांति से बैठकर विश्लेषण करें कि ऐसा क्यों हुआ और उन चीजों की सूची बनाएं जिनके जरिये इस पर काबू पाया जा सकता है। 





(2) समस्या के बारे में ज्यादा न साँचे। इसमें आपका समय ही बर्ाद होगा, जिसे आप इससे निजात पाने में लगा सकते थे। 





(3) ऐसे ख्वाब का कोई मतलब नहीं कि कोई और आपकी समस्या से निपट लेगा तथा आपको इसके बारे में कुछ करने की जरूरत नहीं। 





(4) अपने डर की ओर भागें और उसका आलिंगन करें, इसके दूसरी ओर बहुत खूबसूरत दुनिया आपका इंतजार कर रही है। 





(5) जब आपको लगे कि आप समस्या को हल करने की स्थिति में नहीं हैं या इसके लिए आपमें पर्याप्त काबिलियत नहीं है; तो इसके लिए उचित व्यक्ति की तलाश कर उसे यह जिम्मेदारी सींप दें। 





(6) अहंकारी न बनें और समस्या को खत्म कर दें।


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ज्यादा सोच- विचार से बढ़ती हैं उलझनें ! Jyaada Soch Vichaar Se Badhatee Hain Ulajhanen











किसी कार्य के बारे में बहुत ज्यादा
सोचने से यही बेहतर है कि उंस
पर काम शुरू कर दिया जाए।

बचपन से मुझे लिखने से चिढ़ थी।
इसका कारण यह है कि मेरे लेखन
माकरण की काफी गलतियां होती, मेरी
तबीयत बहुत खराब है। इस वजह से में लिखने में अपना समय और
ऊर्जा बर्बाद क्यों करू, लिखने की अपेक्षा
बोलकर अपनी बातों को दूसरों तक पहुंचाना
ज्यादा सरल है। काफी समय तक ऐसा ही
चलता रहा। 





आखिर फरवरी 2007 में मेरे
गुरु ने भुझे अपने नेतृत्व संबंधी अनुभवों
को कागज पर उतारने के लिए मजबूर किया।
मैं इसके लिए हिचक रहा था और मैंने न
लिखने के लिए उनसे हजार बहाने बनाए.
लेकिन गुरु पीछे पड़ गए और उन्होंने मुझे
बचने का कोई मौका नहीं दिया। आखिर
मैंने अपने विचारों को लेखनबद्ध करना शुरू
किया। मेरे लिए लिखना वाकई कठिन था
और अपनी मर्जी के बिरुद्ध यह कार्य करने
के कारण मैं अक्सर दिमागी उलझन में फंस
जाता, लेकिन धीरे-धीरे सब कुछ ठीक होने
लगा और मेरे लेखन में प्रवाह आ गया। 





 इससे मुझे एक महत्वपूर्ण सबक मिला-
किसी कार्य के बारे में बहुत ज्यादा सोचने
से वही बेहतर है कि उस पर काम शुरू कर
दिया जाए।' सोचना शुरू करते ही हम
अक्सर इसे टालने के कारणों पर ठहर जाते
हैं। ज्यादातर समय हम अपनी क्षमता और
ताकत को इसलिए समझ नहीं पाते क्योंकि
हम उस विशेष काम को टाल रहे होते हैं।
(हम अपने कंफ़र्ट जोन से बाहर नहीं आना
चाहते)। 





अनजाने काम के भय से आप
जीवन में आगे नहीं बढ़ेंगे, वरने पीछे ही
जाएंगे। नई शुरुआत करने से कभी न डरें;
हो सकता है इससे आपके जीवन की दिशा
ही बदल जाए। काम की शुरुआत पर ध्यान
दें, बाकी चीजें अपने आप ठीक हो जाएंगी।
यदि ऐसा नहीं किया तो आपको इन्हें दुरुस्त
करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़।
सकती है। अपने कंफर्ट जोन से बाहर
निकलें और अपनी सामध्थ्य को पहचानें।


सफलता की कुंजी संकल्प शक्ति | Saphalata Kee Kunjee Sankalp Shakti



Saphalata Kee Kunjee Sankalp Shakti





अच्छे उददेश्यों के पीछे का हठ ही दुढ संकल्प
कहलाता है। आधी सफलता संकल्प को
दृढ़ता में ही छिपी रहती है।

वेसे तो सामान्यतया हठ ठीक नहीं माना जाता
लेकिन ग्लानीवश हठ हो और इसकी पूर्ति का
उद्देश्य सही हो तो हट भी गुण बन जाता है। राजा
उत्तानपाद की टो पत्नियां थीं सुनीति और सुरुचि। इनसे
उन्ह दो पुत्र हुए ध्रुव और उत्तम। एक बार राजा
सिंहासन पर बैठे थे ठनकी गोद में उत्तम बैठा था
तभी ध्रूव बहां आए। 





वे भी अपने पिता की गोद में
बैठना चाहते थे । यह जानकर ध्रुव की विमाता सुरुचि
ने ताना मारते हुए कहा- तुम तपस्या कर मेरी कोख
से जन्म लो, तभी राजा की गोद में बैठ सकते हो।
इस बात से भ्रुव ने बड़ा अपमानित महसूस किया।
उनके पिता राजा उततानपाद रानी
सुरुचि को अधिक स्नेह करते थे, 





अतः वे भी मौन रहे।
धुव ने नारद से प्रेरणा ली
और पाँच वर्ष की आयु में
यमुनातट पर मधुवन में तपस्या
करने लगे। उनकी तपस्या से
प्रसन्न होकर विष्णु ने इन्हें बर
दिया था, वे सब लोकों, ग्रेहों,
नक्षत्रों के ऊपर आधार बनकर
स्थित रहेगे। इसालिए उनका
स्थान ध्रुबलोक कहलाता है।





तपस्या के पश्चात ध्रुव
राज्य में लौटे और राज्य प्राप्त किया।
इतिहास बताता है कि ध्रुव ने कई वर्षों तक एक
बहुत ही अच्छा शासन किया, तब से वे इस बात का
आदेश माने गये कि राजा यदि तपस्वों हो तो ने राज्य की नीतिया भी आदरस होंगी और प्रजा सुखी रहेगी। तप के पीछे जब तक
हठ नही होगा तप भी पुरा नही हो सकता। कहा जा सकता है की अच्छे इरादो के पीछे का हठ ही मजबुत संकल्प कहलाता है। पचास प्रतिशत सफलता तो
संकल्प मजबूती मे ही छिपी रहती है, इस लिए कोई भी संकल्प लेकर उसे पुरा करने के लिए दुढ संकल्पित रहना


Behind a True Story Never Give Up - Inspirational Story of Abraham Lincoln








हमारे सपने तो बड़े-बड़े होते हैं किंतु उनको
साकार करने के लिए हम न तो कठोर श्रअम करते
हैं, न समय देते हैं और न ही हम में सब्र होता है।

कोशिश करते हो, फिर भी सफलता नहीं मिलती
तो निराश मत होओ करन उस व्यक्ति को याद
करो 





जिसने 21साल की उम्र में बार्ड मेंबर का चुनाव
लड़ा और हार गया। 22वें वर्ष में शादी की, पर असफल
रहा। 24वें वर्ष में व्यवसाय करना चाहा, फिर नाकाम
रहा। 27वें वर्ष में पत्नी ने तलाक दे दिया। 32वें वर्ष
में सांसद पद के लिए खड़ा हुआ, पर मात खा गया। 





37वें वर्ष में कांग्रेस की सीनेट के लिए खड़ा हुआ, किंतु
हार गया । 42वें वर्ष में फिर सांसद पद के लिए खड़ा
हुआ और फिर हार गया। 47वें वर्ष में उपराष्ट्रपति पद
के लिए खड़ा हुआ, पर परास्त हो गया, लेकिन वही
व्यक्ति 51 वर्ष की उम्र में अमेरिका का राष्ट्रपति बना।
नाम था- अब्राहम लिंकन। हिम्मत
मत हारो, नए सिरे से फिर यात्रा
शुरू करी, कामवानी जरूर
मिलेगी। प्रयत्न और पुरुषार्थ
सीखना है तो चींटी से सीखो।
चींटी अपने से पांच गुना वजन
लेकर दस बार दीवार पर चढ़ती
है, गिरती है। 





चढ़ती है, गिरती है।
मगर हिम्मत नहीं हारती। ग्यारहवीं
बार फिर कोशिश करती है और
सफल हो जाती है। संघर्ष कीजिए,
कोशिश कीजिए, सफलता अवश्य मिलेगी। महावीर से
लेकर महात्मा गांधी तक, बुद्ध से लेकर बिड़ला तक,
क्राइस्ट से लेकर किरण बेदी तक, आदि शंकराचार्य से
लेकर अब्दुल कलाम तक और तुकाराम से लेकर
तरुणसागर तक, 





सब संघर्ष करके ही अपनी मंजिल तक
पहुंचे हैं, पर याद रखना- कार्य जितना बड़ा होगा, श्रम,
सब्र और समय भी उतना ही अधिक मांगेगा। हम अपने
मिशन में केवल इस कारण से सफल नहीं हो पाते हैं।
कि हमारे सपने तो बड़े-बड़े होते हैं किंतु उन सपनों को
साकार करने के लिए हम न तो कठोर श्रम करते हैं, न
समय देते हैं और न ही हम में सब्न होता है।

- मुनि श्री तरुण सागर


Manjil Ko Pane Ke Liye Sapne Dekhna Jaroori Hai






मंजिल को पाने
के लिए सपने
देखना जरूरी है।

विकेंद्रीकरण के इस युग में सपना
ही वह कुंजी है, जो हर एक को
बांधे रखती है।

सभी सफल लीड़सं के पास उस
लक्ष्य का सपना होता है, जिसे वे
हांस्सिल करना चाहते हैं। यह सपना उनके हर
प्रयास और शक्ति के पीछ़े की उरजा बन जाता
है, जो उन्हें सभी सभ से सफलतापूर्वक
निकलकर ले जाता है। जब लीडर के
पास सपना होता है, तो कह एक मिशन पर
होता है। लक्ष्य पूरा करने के लिए घंटों मेहनत
की जाती है। व्यक्तिगत अधिकार दरकिनार
कर दिए जाते हैं, क्योंकि हिस्सों से अधिक
महत्वपूर्ण होती है संपूर्ण टीम। समय को पंख
लग जाते हैं, मनोबल शिखर पर होता है,
असामान्य उपलब्धि की कहानियां जन्म लेती
हैं और प्रतिबद्धता मूल सिद्धांत होती है।



 क्यों?
क्यांक लोडर के पास एक संपना है। एक
बार हेलन केलर से पूछा गया, अंधे पैदा होने
से भी बुरी बात वया होगी?' उनका जवाब
था, 'आखे होने के वाद भी सपने न देखना।
यह दुखद है कि बहुत से लोग लीडर के पद

पर है, परंतु उनके पास उस संगठन के लिए
कोई सपना नहीं है, जिसका वे नेतृत्व कर रहे
हैं। सभी महान लीडरों के पास दो चीजें
अवश्य होती हैं- वे जानते हैं कि वे कहां जा
रहे हैं और साथ हो दूसरों को अपने पीछे आने
के लिए राजी करने में वे समर्थ होते हैं।



अपने संगठन के लिए लक्ष्य तैयार करने
पर इतना जोर क्यों दिया जाता है? इसके दो
कारण हैं- पहला, सपना संगठन की पहचान
बन जाता है, उसका विजय उद्घोष बन
जाता है। प्रतियोगिता से भरे बाजार में यह
स्पष्ट रूप से कहता है कि ग्राहकों का ध्यान
खींचने के लिए हल्ला मचा रही आवाजों
में आपका एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह
आपके अस्तित्व का असली कारण है।



दूसरी बात, सपना नियंत्रण का नया साधन
बन जाता है और उस मैन्युअल का रूप ले
लेता है जिससे कोई काम शुरू करने में बाधा
होती है। विकेंद्रीकरण के इस युग में सपना
ही वह कुंजी है, जो हर एक को बांधे रखती
है। लोग किसी सपने के पीछे नहीं चलते,
वे उस लीडर के पीछे चलते हैं, जिसके
पास एक सपना होता है और साथ ही
उसे सपने को अच्छी तरह से संप्रेषित करने
की योग्यता होती है।

Real Story in Hindi भुनभुनाना बंद करें | Bhunabhunaana Band Karen











भुनभुनाना बंद करें
अपने हालात पर हमेशा रोते-खीझते रहने और इसके
लिए दूसरों पर दोष मढ़ने के बजाय अगर खुद अपना भाग्य
बदलने के लिए कुछ करें, तो आप अपने प्रतिस्पर्द्धिों
से अधिक तेजी से आगे बढ़ सकते हैं।

गाहकों को अच्छी सर्विस देना आपके हाथ में है, क्यॉंकि अच्छी सविस
आपके अंतःकरण पर निर्भर करती है। वर्षों पहले में
न्यूयॉर्क(अमेरिका) में जेएफके एयरपोर्ट पर टैक्सी की प्रतीक्षा कर रहा था।
थोड़ी देर बाद एक टैक्सी आकर मेरे सामने रुकी। उसमें जो बात मैंने सबसे
पहले नोटिस की बह यह कि टैक्सी बिलकुल चकाचक और साफ- सुथरी थी।
उसका ड्राइवर काफी बना-ठना और स्मार्ट दिख रहा था। उसने अपना परिचय
कुछ इस तरह दिया, मैं वैली यानी आपका ड्राइवर हैं। जब तक मैं आपका
साजो-सामान अपनी टैक्सी के ट्रंक में लोड करता हूं, मेरी दिली तमन्ना है कि
आप मेरी टैक्सी सर्विस के मिशन के बारे में पढ़ लें। 





यह कहते हुए उसने एक
कार्ड मेरी तरफ बढ़ा दिया।
उसमें लिखा था, मेरा मिशन अपने ग्राहकों को दोस्तान माहौल में जल्दी-
से-जल्दी, सुरक्षित और कम-से-
कम कीमत पर उनकी मंजिल तक

पहुंचाना है। इन पंक्तियों को पढ़कर
मैं तो भौचक रह गया। मुझे इस बात
ने भी अपनी ओर आकर्षित किया
कि टैक्सी के अंदर और बाहर की
चमक एक समान थी। अपनी
टैक्सी की स्टेयरिंग संभालते हुए।
वली ने मुझसे पूछा, आप कौफी
लेना पसंद करेंगे? मेरे पास थर्मस में है। मैंने फिर मजाक के अंदाज में कहा,
नहीं, मैं सॉफ्ट-ड्रिंक लेना पसंद करता हूँ। मानो मेरे नहले पर दहला मारते हुए
बैली मुस्कराया, नो प्रॉब्लम, मेरे पास कूलर है जिसमें रगुलर और डाइट कोक,
जल और आरेंज जूस मौजूद है। आखिरकार फिर मैंने लड़खड़ाती जुबान में
डाइट कोक लेने की इच्छा जताई। इसके बाद वैली ने एक कदम और आगे
बढ़ते हुए पूछा, अगर आप कुछ पढ़ना चाहते हैं, तो मेरे पास वॉल स्ट्रीट जर्नल,
टाइम, स्पोर्ट्स इलस्ट्रेटेड और यूएसए टुडे है। 





हम जैसे-जैसे आगे बढ़ रहे थे,
वैली ने एक अन्य दमकता हुआ कार्ड मेरी तरफ बढ़ाया। ये वे रेडियो स्टेशन
हैं, जिनकी सेवाएं मेरे पास हैं और ये इस तरह का म्यूजिक प्रसारित करते हैं।
अगर आप रेडियो सुनना चाहते हैं तो बताएं।
जैसे लगता था इतना ही काफी नहीं है। वैली ने बताया कि मेरी टैक्सी
वातानुकूलित है और आपको कमी बेसी करनी हो तो बता दें। उसके बाद वैली
ने मेरी मंजिल के लिए सर्वोत्तम रास्ता बताया। फिर वैली ने कहा कि वह मुझसे
बात करने में खुशी महसूस करेगा और अगर कोई दर्शनीय स्थल विशेष प्रिय
हैं तो बताऊं। अगर मैं अपने आपमें ही बिजी रहना चाहता हूं तो कोई बात नहीं,
रह सकता हूँ। मैंने पूछा, वैली क्या मुझे यह बताओगे कि क्या अपने ग्राहकों
(सवारियों) को हमेशा ऐसी ही सर्विस देते आए हो? वैली के होठों पर एक
मुस्कान बिखर गई। वह बोला, नहीं, ऐसी बात तो नहीं है। पिछले दो सालों से
ही ऐसा करना शुरू किया है।





 टैक्सी सर्विस के शुरुआती पांच साल तो मैंने
दूसरे टैक्सी मालिकों की तरह हमेशा दुनिया को लानत-मलानत भेजने और
सिर्फ शिकायतें करने में गंवाए। लेकिन मैने एक दिन हिनहिनाना-भुनभुनाना
बंद करने का निश्चय किया और अपने आप से खुश रहने का फैसला किया।
इसी का नतीजा है कि आज मेरे पास आधा दर्जन टैक्सियां हैं।
फंडा यह है कि अपने हालात पर हमेशा रोते-खीझते रहने और इसके लिए
दूसरों पर दोष मढ़ने के बजाय अगर खुद अपना भाग्य बदलने के लिए कुछ
करें तो आप अपने प्रतिस्प्द्धियों से अधिक तेजी से आगे बढ़ सकते हैं।


जिम्मेदारी, अधिकार और जवाबदेही | Jimmedaaree, Adhikaar aur Javaabadehee | Responsibility, Authority and Accountability



Jimmedaaree, Adhikaar aur Javaabadehee





जब जिम्मेदारी और अधिकार एक
साथ होते हैं, तभी लोग सचमुच
सशक्त बनते हैं।

अगर आप लोगों को काम करने की
पूरी स्वतंत्रता नहीं देते हैं, तो दुनिया
भर का प्रशिक्षण भी बहुत सीमित सफलता
देगा। जैसा जनरल जॉर्ज एस. पैटन ने एक
बार कहा था, 'कभी भी लोगों को यह न
बताएं कि उन्हें काम कैसे करना है। उन्हें
सिर्फ यह बताएं कि क्या करना है। वे अपनी
चतुराई से उसे करने का तरीका खोजकर
आपको आश्चर्यचकित कर देंगे।' हालांकि
आप लोगों को इतना स्वतंत्र भी नहीं छोड़
सकते कि किसी तरह का तंत्र ही न रहे,
परंतु आपको उन्हें रचनात्मकता की पर्याप्त
स्वतंत्रता भी देनी चाहिए। 





इसके लिए
आपको उन्हें तीन बड़ी चीजें देनी होगी:
है
वमो
विकास मंत्र
जिम्मेदारी, अधिकार और जवाबदेही।
कुछ लोगों को इन तीनों में जिम्मेदारी
देना सबसे आसान काम लगता है। हम सब
चाहते हैं कि हमारे आसपास के लोग
जिम्मेदार हों। हम जानते हैं कि यह कितना
महत्वपूर्ण है। कुछ लीडर्स के लिए यह
ज्यादा मुश्किल होता है कि कर्मचारियों को
जिम्मेदारी देने के बाद वे हमेशा के लिए
उससे मुक्त हो जाएं। खराब मैनेजर अपने
कर्मचारियों के काम के हर छोटे-छोटे
विवरण को नियंत्रित करना चाहते हैं। 





जब
ऐसा होता है, तब उनके अधीन काम करने
वाले संभावित लीडर्स कुंठित हो जाते हैं।
और विकास नहीं कर पाते हैं। ज्यादा
जिम्मेदारी चाहने की बजाय वे उदासीन हो
जाते हैं या हर जिम्मेदारी से बचते हैं । अगर
आप चाहते हैं कि आपके कर्मचारी
जिम्मेदारी लें, तो आप सचमुच उसे देकर
मुक्त हो जाएं।
जिम्मेदारी के साथ ही अधिकार भी देने
पड़ते हैं। जब तक दोनों इकट्ठे नहीं दिए
जाएं, तब तक प्रगति नहीं हो सकती। द्वितीय
विश्वयुद्ध के दौरान संसद को संवोधित
करते हुए विंस्टन चर्चिल ने कहा था, 'मैं
आपका सेवक हूँ। आपको यह अधिकार है
कि आप जब चाहें मुझे हटा दें, परंतु आपको
यह अधिकार नहीं कि आप मुझे कार्य करने
की शक्ति दिए बिना जिम्मेदारी उठाने के
लिए कहें। 


महापुरुष खुद गढ़ते हैं अपना व्यक्तित्व Read in Hindi | Great men create their own personality ! Mahaapurush Khud Gadhate Hain Apana Vyaktitv











मूलत: व्यक्तित्व का संबंध उन गहराइयों से
है, जो हमारी चेतना को नियंत्रित करती हैं।
और हमारे आचरण में अभिव्यक्त होती हैं।

संसार में जितने भी सफल व्यक्ति या महापुरुष हुए
हैं, इसलिए नहीं कि वे अलौकिक प्रतिभा के धनी
थे अथवा साधन-संपन्न थे, बल्कि इसलिए कि वे महान
व्यक्तित्व के स्वामी थे विश्व के महापुरुषों
व्यक्तियों की जीवनियां हमें बताती हैं कि सभी ने अपने
व्यक्तित्व का विकास कर जीवन को अनुशासित किया
और उसे निश्चितृ दिशा तथा गति प्रदान कर ये अपने
उद्देश्य तक पहुंचने में सफल हुए। असली विजेता वह
है जिसने एक सार्थक जीवन बनाने की कला सीखकर
सफल
स्थायी सफलता हासिल की है। 





मूलतः व्यक्तित्व का संबंध उन गहराइयों से है जो
हमारी चेतना को नियंत्रित करती हैं अर्थात जो हर क्षण
हमारे व्यवहार, आचरण और हमारे
कार्यकलाप
जीने की
और क्रियाओं
(चेप्टाओं) में अभिव्यक्त होती हैं।
मनोवैज्ञानिकों का भी यह मानना है
कि व्यक्तित्व का संबंध केवल
व्यक्ति के बाहा गुणों से नहीं है,
उसके आंतरिक गुणों से भी है, जैसे
चरित्र-बल,
आत्मविश्वास, रुचि, लगन
उत्साह, एकाग्रता आदि। यथार्थ में
आंतरिक गुणों के विकास से ही आपके व्यक्तित्व को संपूर्णता प्राप्त होती है, जिसे
कम्पलीट पर्सनैलिटी कहते हैं। 





चाल्ल्स एम श्वैल ने कहा है- एक मनुष्य के लिए
व्यक्तित्व का वही महत्व होता है, जो एक फूल में सुगंध
का। महाभारत काल के एक अत्यंत गरीब व साधन हीन
बालक एकलव्य के अंदर व्यक्तित्व निर्माण के सभी गुण
मौजूद थे। उसमें एक सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारी बनने की इतनी
ऊंची ललक थी कि वह अपनी सकारात्मक सोच के
साथ अंधकार में प्रकाश की किरण का आभास करता
हुआ एकाग्रचित और कड़े अभ्यास के ब्लबूते हैी अंत
में जीवन उद्देश्य तक पहुंचने में सफल हुआ था।
- बेसिक्स ऑफ सक्सेस


कर भला, हो भला A Beautiful Hindi Story with Real Story








एक छोटे-से शहर में, एक छोटा-सा बच्चा दरवाजे- दरवाजे
भटकता, कुछ छोटी-मोटी चीज़ं बेचता था, ताकि वह अपनी
पडाई जारी रख सके। एक दिन भरी दोपहर में चलते-चलते वह चककर
निदाल हो गया। उस दिन उसका सामान भी न बिका था उसे इतनी जार
का भूख लग आई थी कि एक कदम और चलना दूभर था। उसने जैव में
हाय डाला, तो पाया कि जेब में मात्र एक दस पैसे का सिक्का था, जिसर
कुछ भी खरीद पाना मुमकिन न था। भूख के हावो लाचार यालक ने सोचा
कि अगर जीना है, तो अगते घर से रोटी मांगकर खाना होगा।
इसी निर्णय के साथ वह थोड़ा साहस जुटाकर आगे बदा एक घर
के आगे रुका और इसी इरादे के साथ दरवाजे पर दस्तक दी। एक भद्र
महिला ने दरवाज़ा खोला और सवाल किया- 'बोलो वेटा ।" 





महिला को सामने देखकर इतनी देर से भूख से जुझ रहे बालक का
आत्म सम्मान जागृत हो उठा। उसने रोटी मंगिने की वजाय सिर्फ एक
गिलास पानी मांग लिया। उस महिला ने बह़े प्यार से बालक को बिठाया
और अंदर चली गई। बालक की उस निदाल हालत को देखकर महिला
ने अंदर से पानी के स्थान पर एक बडे गिलास में दूध लाकर उस मासूम
बच्चे को धमा दिया। चकित बालक ने पहले तो उस दयालु महिला का
चेहरा देखा और विना कुछ कहे
धीरे-धीरे दूध पी गया। उसकी
औखों में आदर और कृतज्ञता
का भाव भर अया था। उसने
बहुत ही विनम्रता से उस
महिला से सवाल किया- '





इस
दूध के लिए मुझे आपको
कितने पैसे चुकाने हैं?
"इस दूध के लिए तुम्हें
कुछ भी नहीं चुकाना होगा, महिला ने मुस्कराते हुए बालक के सर पर हाथ
फैरते हुए कहां- 'हमें हमारे कुजुगों ने सिखाया है कि एक-दूसरे के प्रति
क्रिए गए प्रेम और सदाशयता के किसी भी काम के लिए किसी भी तरह की
कीमत की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
कृतज्ञ बालक उस महिला को निहारता चला गया। बहत लये समय
बाद यह दयालु महिला एक बहुत गंभीर और अबूझ-सी बीमारी का शिकार
हो गई। उस शहर के डॉवटर जय उसका इलाज कर हार चुके, तो उन्होंने
राजधानी जाकर वहा के एक विशेषज्ञ डॉक्टर, जो इन कठिन बीमारियों के
इलाज के लिए प्रसिद्ध था, से ऑपरेशन करवाने की सताह दी। 





महिला को राजधानी के एक बड़े अस्पताल में भ्ती करवाया गया।
उस प्रसिद्ध डॉयटर के सामने मरीज़ के कागजात लाए गए और बताया गया।
कि वो किस शहर से आई है, तो डॉक्टर की आखों में एक चमक-सी आ
गई। उसने महिला का ऑपरेशन किया। देखभाल की । और बिल्कुल वंगा
कर दिया। नया जीवन पाकर महिता बहुत खुश थी। उसने अस्पताल के
स्टाफ से जब भुगतान के लिए विल मांगा, तो कुछ देर दाद उसके हाथ में
एक लिफाफा [धमा दिया गया । अपनी बीमारी में पहले ही देर सारा रुपया
खर्च कर चुकी महिला ने घह़कते दिल से लिफाफे से विल निकाला। मगर
यह वया? उस लिफाफे में विल की जगह एक चिट्ठी थी। विट्ठी में लिखा
था- 'बिल का भुगतान बरसों पहले हो चुका एक गिलास दूध।' 





नीचे
दस्तरखत थे- आपका दूध वाला बच्चा, जो आज डॉक्टर है। 





सबक :- Moral





 किसी के प्रति प्रेम और सदाशयता से हाथ बढ़ाते समय
किसी मूल्य की अपेक्षा करना मूर्खता है। प्रेम और
सदाशयता का मूल्य सिर्फ प्रेम और सदाशयता हैी हैं, जो
हाथ की हाथ भले ही आपको न मिले, लेकिन वह बहगुणित
होकर बहुत लोगो के बीच बंट ज़रूर जाता है। अऔीर कभी-
कभी जब उस बंटवारे में उसका फल आपको मिलता है,
तब वह अमूल्य हो जाता है।


अपनी क्षमता तक पहुंचने की उन्हें शक्ति दें











जिन्हें आप सशक्त बनाना चाहते हैं,
शुरुआत में उन्हें आसान काम दें और धीरे-
धीरे जिम्मेदारियां व अधिकार बढ़ाएं।
जत्र आपको खुद पर और उन लोगों
पर विश्वास हो जाता है, जिन्हें आप
सशक्त बनाना चाहते हैं, तो आपका लक्ष्य
यह होना चाहिए कि शुरुआत में आप उन्हें
तुलनात्मक रूप से छोटे व आसान काम
दें और धीरे-धीरे उनकी जिम्मेदारियां तथा
अधिकार बढ़ाएं। आप जिन लोगों के साथ
काम कर रहे हैं, वे जितने अनुभवहीन
होंगे, इस प्रक्रिया में उतना ही अधिक समय
लगेगा। 





लोगों को सशबत बनाते समय मार्गदर्शन
के लिए जरूरी है : 





1. उनका मूल्यांकन
फरें लोगों को सशक्त बनाने की प्रक्रिया
उनके मूल्यांकन से शुरू होनी चाहिए। अगर
आप अनुभवहीन-लोगों को बहुत जल्दी
बहुत ज्यादा अधिकार दे देते हैं, तो वे
असफल हो सकते हैं। अगर आप बहुत
अनुभवी लोगों के साथ बहुत धीमे चलते
लीडरशिप मंत्र
जिम डॉरनैन
हैं, तो वे कुंठित और हतोत्साहित हो सकते
हैं। कई बार जब लोडर्स दूसरों की क्षमताओं
का गलत मूल्यांकन करते हैं, तो परिणाम
हास्यास्पद हो सकते हैं। 





2. उनके आदर्श
बने- ज्ञान, योग्यता और इच्छा से संपन्न
लोगों को भी यह जानने की जरूरत होती है।
कि उनसे क्या आशा की जाती है। उन्हें यह
बताने का सर्वश्रेष्ठ तरीका करके दिखाना
है। लोग वही करते हैं, जो वे देखते हैं। 


3.
उन्हें प्रेरित करें- एक लीडर के रूप में
आपको समझना होगा कि हर व्यक्ति सफल
होना चाहता है और सफलता पाने के लिए
आप ही की तरह कोशिश करता है। आपको
दूसरों को विश्वास दिलाना होगा कि वे
सफल हो सकते हैं। आपको उन्हें यह बताना
होगा कि आप उन्हें सफल होते देखना चाहते
हैं। 





4. उनमें अपना विश्वास दिखाएं-
आपको उन्हें यह बताने की जरूरत है कि
आप उनमें विश्वास करते हैं। यह आपके
प्रभाव को बांटने का एक ठोस तरीका है। 





5. अपने दम पर बढ़ने दें- आपका अंतिम
लक्ष्य होंना चाहिए कि आप उन्हें अपने दम
पर अच्छे निर्णय लेने के लिए मुक्त कर दें।


राख के ढेर में भी उम्मीद की किरण Beautiful Story in Hindi with full Meaning










वस्तुत: कठिनाइयों एवं संकटों के माध्यम
से ही ईश्वर हमें बढ़ने का अवसर प्रदान
करता है।
जब कोई व्यक्ति आत्मुग्ध होता है तो वह अपनी
उपलब्धि के बारे में गलत अनुमान लगा लेता
है। ज्यादातर लोग अच्छे उद्देश्य लेकर चलते हैं और
उसके मुताबिक काम करते हैं तो उसका अच्छा ही
परिणाम मिलता है। कोई भी व्यक्ति, जो निगशाजनक
ढंग से अपने किए का मूल्यांकन करता है, तो उसके
अच्छे उद्देश्यों में विरोधाभास पैदा हो जाते हैं।



कुछ
लोग अपना काम उस ढंग से करते हैं जो उन्हें.
सुविधाजनक लगता है और शाम को संतुष्टि की भावना
लिए घर चले जाते हैं। वे अपने काम का मूल्यांकन
नहीं करते। ऐसा माना जाता है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति
अपने कार्य को समय के भीतर खत्म करने का इरादा
रखता है और अगर इसमें विलंब
होता है तो उसके नियंत्रण के बाहर
की बात होती है। काम में देरी
करने का उसका कोई इरादा नहीं
होता, लेकिन अगर उसके काम
का तरीका या आलस्य देरो का
कारण बनता है. तो क्या यह
इरादतन नहीं होता?



मेरा युवा दिनों का अच्छा
अनुभव रहा है। उन दिनों मेरे
भीतर तीव्र इच्छाशक्ति थी। मेरी
इच्छा ज्यादा से ज्यादा कुछ अच्छा सीखने की और
ज्यादा से ज्यादा व्यक्त करने की रहती थी। कुल
मिलाकर जीवन जो है वह अनसुलझी समस्याओं,
संदिग्ध विजय, पराजय का ही मित्रण है। लोग अपनी
असफलताओं से कुछ सीखने की बजाय या उनका
अनुभव लेने की बजाय उनके कारणों एवं प्रभाव का
पोस्टमार्टम करने लगते हैं। वस्तुतः कठिनाइयों एवं
संकटों के माध्यम से ही ईश्वर हमें बढ़ने का अवसर
प्रदान करता है। इसलिए जब आपकी उम्मीदें, सपने
एवं लक्ष्य चूर-चूर हो गए हो तो उनके भीतर ढूंदिए,
उनमें कोई सुनहरा मौका अवश्य ही छिपा मिलेगा।

अपडेट रहें या कम बोलें Stay updated or say less Beautiful Article in Hindi



अपडेट रहें या कम बोलें





किसी भी वस्तु विशेष की सही जानकारी
न होने पर उसके बारे में न बोलना ही
बेहतर है। ज्यादा बोलकर बेककूफ साबित
होने से अच्छा है कि आप कम बोलें और
समझदार होने की मिसाल पेश करें ।

है आधुनिक पंचतंत्र कथा है। एक बार की
यात है, एक सौफ्टवेयर इंजीनियर नदी के
किनारे एक पेड़ के नीचे मैठकर अपनी
पेटियम मशीन पर प्रोग्राम तैयार करने में व्यस्त था।
यह संडे मार्केट में इन प्रोग्राम्स को बेचकर अपने
लिए रोटी की जुगाड़ करता था। एक दिन जब वह
प्रोग्राम बनाने में मशगूल था, तभी उसकी मशीन
भरभ
टेयल से नीचे नदी में जा गिरी।



उस साफ्टवेयर इंजीनियर ने बचपन में सुनी
पंचतंत्र कथा (लकड़हारा और उसकी कुल्हाड़ी) से
प्रेरित होकर नदी देव को तपस्या करनी शुरू कर दी।
नदी देव उसकी महीने भर की कड़ी तपस्या से प्रसन्न
होकर प्रकट हुए और सॉफ्टवेयर इंजीनियर से तपस्या
की वजह पूरछी। ईजीनियर ने उनको बताया कि नदी
के गर्भ में उसका कंप्यूटर गिर गया है, अतः नदी देव
उसे लौटाने की कृपा करें। नदी देव ने उसकी
इमानदारी की
परीक्षा लेने
की ठानी और
डुबकी लगाकर माचिस की
डिब्बी जितनी
बड़ी एक वस्तु
पूछा-क्यो यहा
वस्तु निकाल कर उसे दिखाते हुए क्या यही तुम्हारा कम्प्यूटर है? कंप्यूटर के बारे में नदी देव की
तुम्हारा
अज्ञानता से हताश सॉफ्टवेयर ईंजीनियर बोला-नहीं।
उन्होंने दोबारा डुबकी लगाई और एक पॉकेट साइज
केलकलेटर जैसो वस्तु निकालकर दिखाते हुए
बोले-
ये तो अवश्य तुम्हारा कंप्यूटर होगा? खीझकर वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर बोला
नहीं।



आखिरकार नदी देव ने तीसरी बार डुबको
लगाई और इस बार उसकी पेंटियम मशीन के साथ
प्रकट हुए और बोले- यही
बिना किसी लाग-लपेट के ठंडी आह भरते हुए
बोला-हां। नदी देव इंजीनियर की ईमानदारी से काफी
प्रसन्न हुए। उन्होंने वे तीनों वस्तुएं इंजोनियर की
तरफ बढ़ा दी, लेकिन वे तीनों वस्तुएं लेने के पहले
इंजीनियर ने कहा-क्या आप मुझे
पहले कुछ अच्छे कंप्यूटर नहीं दिखा सकते थे?
नदी देव इंजीनियर के इस सवाल से क़्ोधित होते
हुए बोले, मुझे मालूम है बेक्कूफ। पहले दिखाई गई
दोनों वस्तुएं ट्रिलेनियम और बिलेनियम हैं, जो कि
आईबीएम के सबसे अत्याधुनिक कंप्यूटर हैं। इतना
कहकर वे ओरिजनल पेटियम के साथ अदृश्य हो गए।

फंडा यह है कि यदि आपको नवीनतम प्रौद्योगिकी
की जानकारी नहीं हो तो बेहतर है कि अपना मुंह बंद
रखें, जिससे लोग आपको बुद्धिमान समझें, पर जैसे
ही आप अपना मुह खोलिंगे आपकी सारी पोलपट्टी
खुलकर असलियत सामने आ जाएगी।


गलतियां से सीखकर सुधरता है मनुष्य - Man learns from mistakes and improves Beautiful Story in Hindi









गलतियां हमें स्वयं को सुधारने का अवसर प्रदान करती है। इन्हें टाला नहीं जा सकता, इन पर नियंत्रण किया जा सकता है। बात सन 1955 की है प्रो. सारभाई धुंबा के दौरे पर आए। उनको नोज-कॉन जेटेसनिंग मैकेनिज्य (रॉकेट के आपभाग को शेष आाचे से नियंत्रि विसमोट करके अलग करने को प्रणाली) का संचालन करके दिखाया जाना था। हमने प्रो. साराभाई से अनयोध किया कि वे औपचारिक रूप से इस तापीय प्रणाल्ती को टाइमर के माध्यम से शुरू करें। प्रो. साराभाई मुस्कुराए और कटन दया दिया लेकिन शुरू नहीं हुई। हम सब अवाक रह गए। मैने प्रनोद काले की वरफ देखा, जिसने टडमर, सरकिट को डिजाइन किया था। इस सब इ असफलता के कारणों का विश्लेषण करने में लग गए किर हमने टनर ुक्ति को हटाकर तापोय प्रणालो को सोधे हो सकिट से जोड़ दिया।










 प्रो. साराभाई ने दोबारा कटन दबाया और तापीच प्रणाली शुरू हो गई। साराधाई ने हमें बधाई दे। इस्के चात प्रो. साराभाई के सचिव ने मुझे फोन कर रात के खाने के बाद उनसे मिल लेने को कह मैं थोड़ा घकायाः साराभाई ने मुझे गर्मजोशी के साथ दधाई दी। उसके बाद के उस घहना पर आए, जो उस दिन रुवह घाटेल हुई थी। प्रो. साराभाई ने मुझ्से पूजछ कि क्या हम ऐसा काम करने में अनुललाहित होते हैं, जिसनें कोई चुनौसी नहीं हो। अत में अह मुख्य ডिषर आए- इमारे पास रोकेट प्रणाल्ियों उथा रकेट के लिपिन चणों को रक अह ज्ययस्थित करने के लिए कोई कं नहीं है। विधुल एवं यांज्िकी के क्षेत्र से संबोंधर महावपुर्ण कर्य हो रहे हैं, समेकिन सम्य और काल के रोदभ में ये फनों एक-स्रे से भिन्न हैं। इसके बाद प्रो. सलाराभाई ने रोकेट इंजोन्यिसिि सेक्सन बनाने का फैसला लिख्था। इसल, गन्यां हो हमें स्वय को सुधारने का अवस्र प्रकान करते है। जो साराभाई हफेशा यह मानने कि इन्हें ला हीं जा स्कल इ एर नि किया रकता है, सुधारा जा रूकसा है।


 एपीजे अष्दुत कलाम


Friday, November 29, 2019

Shani Aarti || शनिदेव आरती || Jai Jai Shani Dev Maharaj Sune Aur Dekhe || Full Video Download Kare









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श्री गुरु चरण सरोज रज निज मनु मुकरू सुधारी - हनुमान चालीसा गुलशन कुमार जी की आवाज मे सुने और देखे । हनुमान चालीसा Full Download करे



Hanuman Chalisa Gulshan Kumar










Lyrics - हनुमान चालीसा हिंदी मे ! 









श्रीगुरु चरन सरोज रज


निजमनु मुकुरु सुधारि


बरनउँ रघुबर बिमल जसु


जो दायकु फल चारि




बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार


बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार




जय हनुमान ज्ञान गुन सागर


जय कपीस तिहुँ लोक उजागर


राम दूत अतुलित बल धामा


अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा




महाबीर बिक्रम बजरंगी


कुमति निवार सुमति के संगी


कंचन बरन बिराज सुबेसा


कानन कुण्डल कुँचित केसा




हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे


काँधे मूँज जनेउ साजे


शंकर सुवन केसरी नंदन


तेज प्रताप महा जग वंदन




बिद्यावान गुनी अति चातुर


राम काज करिबे को आतुर


प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया


राम लखन सीता मन बसिया




सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा


बिकट रूप धरि लंक जरावा


भीम रूप धरि असुर सँहारे


रामचन्द्र के काज सँवारे




लाय सजीवन लखन जियाये


श्री रघुबीर हरषि उर लाये


रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई


तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई




सहस बदन तुम्हरो जस गावैं


अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं


सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा


नारद सारद सहित अहीसा




जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते


कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते


तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा


राम मिलाय राज पद दीन्हा




तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना


लंकेश्वर भए सब जग जाना


जुग सहस्र जोजन पर भानु


लील्यो ताहि मधुर फल जानू




प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं


जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं


दुर्गम काज जगत के जेते


सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते




राम दुआरे तुम रखवारे


होत न आज्ञा बिनु पैसारे


सब सुख लहै तुम्हारी सरना


तुम रच्छक काहू को डर ना




आपन तेज सम्हारो आपै


तीनों लोक हाँक तें काँपै


भूत पिसाच निकट नहिं आवै


महाबीर जब नाम सुनावै




नासै रोग हरे सब पीरा


जपत निरन्तर हनुमत बीरा


संकट तें हनुमान छुड़ावै


मन क्रम बचन ध्यान जो लावै




सब पर राम तपस्वी राजा


तिन के काज सकल तुम साजा


और मनोरथ जो कोई लावै


सोई अमित जीवन फल पावै




चारों जुग परताप तुम्हारा


है परसिद्ध जगत उजियारा


साधु सन्त के तुम रखवारे


असुर निकन्दन राम दुलारे




अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता


अस बर दीन जानकी माता


राम रसायन तुम्हरे पासा


सदा रहो रघुपति के दासा




तुह्मरे भजन राम को पावै


जनम जनम के दुख बिसरावै


अन्त काल रघुबर पुर जाई


जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई




और देवता चित्त न धरई


हनुमत सेइ सर्ब सुख करई


सङ्कट कटै मिटै सब पीरा


जो सुमिरै हनुमत बलबीरा




जय जय जय हनुमान गोसाईं


कृपा करहु गुरुदेव की नाईं


जो सत बार पाठ कर कोई


छूटहि बन्दि महा सुख होई




जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा


होय सिद्धि साखी गौरीसा


तुलसीदास सदा हरि चेरा


कीजै नाथ हृदय महँ डेरा




पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप


राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप









Wednesday, November 27, 2019

[Digital Marketing Kya Hai?] डिजिटल मार्केटिंग क्या है? डिजिटल मार्केटिंग क्या है?




Digital Marketing Kya Hai





What is Digital Marketing in Hindi? – आज के युग में सब ऑनलाइन हो गया है। इंटरनेट ने हमारे जीवन को बेहतर बनाया है और हम इसके माध्यम से कई सुविधाओं का आनंद केवल फ़ोन या लैपटॉप के ज़रिये ले सकते है। 
Online shopping, Ticket booking, Recharges, Bill payments, Online Transactions (ऑनलाइन शॉपिंग, टिकट बुकिंग, रिचार्ज, बिल पेमेंट, ऑनलाइन ट्रांसक्शन्स) आदि जैसे कई काम हम इंटरनेट के ज़रिये कर सकते है । इंटरनेट के प्रति Users के इस  रुझान की वजह से बिज़नेस Digital Marketing (डिजिटल मार्केटिंग) को अपना रहे है । 
यदि हम market stats की ओर नज़र डालें तो लगभग 80% shoppers किसी की product को खरीदने से पहले या service लेने से पहले online research करते है । ऐसे में किसी भी कंपनी या बिज़नेस के लिए डिजिटल मार्केटिंग महत्वपूर्ण हो जाती है।   
डिजिटल मार्केटिंग का तात्पर्य क्या है?




[Digital Marketing Kya Hai?]  डिजिटल मार्केटिंग क्या है?  डिजिटल मार्केटिंग क्या है? 




अपनी वस्तुएं और सेवाओं की डिजिटल साधनो से मार्केटिंग करने की प्रतिक्रिया को डिजिटल मार्केटिंग कहते है ।डिजिटल मार्केटिंग इंटरनेट के माध्यम से करते हैं । इंटरनेट, कंप्यूटर,  मोबाइल फ़ोन , लैपटॉप , website adertisements या किसी और applications द्वारा हम इससे जुड सकते हैं। 
1980 के दशक में सर्वप्रथम कुछ प्रयास किये गये डिजिटल मार्किट को स्थापित करने में परंतु यह सम्भव नही हो पाया । 1990 के दशक मे आखिर मे इसका नाम व उपयोग शुरु हुआ। 
डिजिटल मार्केटिंग नये ग्राहकों तक पहुंचने का सरल माध्यम है। यह विपणन गतिविधियों को पूरा करता है। इसे ऑनलाइन मार्केटिंग भी कहा जा सकता है। कम समय में अधिक लोगों तक पहुंच कर विपणन करना डिजिटल मार्केटिंग है। यह प्रोध्योगीकि विकसित करने वाला विकासशील क्षेत्र है। 
डिजिटल मार्केटिंग से उत्पादक अपने ग्राहक तक पहुंचने के साथ ही साथ उनकी गतिविधियों, उनकी आवश्यकताओं पर भी दृष्टी रख सकता है। ग्राहकों का रुझान किस तरफ है, ग्राहक क्या चाह रहा है, इन सभी पर विवेचना डिजिटल मार्केटिंग के द्वारा की जा सकती है। 





सरल भाषा में कहें तो डिजिटल मार्केटिंग डिजिटल तकनीक द्वारा ग्राहकों तक पहुंचने का एक माध्यम है। 
डिजिटल मार्केटिंग क्यो आवश्यक है ? 


[Importance of Digital Marketing in Hindi]  डिजिटल मार्केटिंग क्या है?  


डिजिटल मार्केटिंग क्यो आवश्यक है ?





यह आधुनिकता का दौर है और इस आधुनिक समय में हर वस्तु में आधुनिककरन हुआ है। इसी क्रम में इंटरनेट भी इसी आधुनिकता का हिस्सा है जो जंगल की आग की तरह सभी जगह व्याप्त है। डिजिटल मार्केटिंग इंटरनेट के माध्यम से कार्य करने में सक्षम है। 
आज का समाज समय अल्पता से जूझ रहा है, इसलिये डिजिटल मार्केटिंग आवश्यक हो गया है। हर व्यक्ति इंटरनेट से जुड़ा है वे इसका  उपयोग हर स्थान पर आसानी से कर सकता  है । अगर आप किसी से मिलने को कहो तो वे कहेगा मेरे पास समय नही है, परंतु सोशल साइट पर उसे आपसे बात करने में कोई समस्या नही होगी । इन्ही सब बातों को देखते हुए डिजिटल मार्केटिंग इस दौर में अपनी जगह बना रहा है । 
जनता अपनी सुविधा के अनुसार इंटरनेट के जरिये अपना मनपसंद व आवश्यक सामान आसानी से प्राप्त कर सकती है । 





अब बाज़ार जाने से लोग बचते हैं ऐसे में डिजिटल मार्केटिंग बिज़नेस को अपने products और services लोगो तक पहुंचाने में मदद करती है। डिजिटल मार्केटिंग कम समय में एक ही वस्तु के कयी प्रकार दिखा सकता है और उप्भोक्ता को जो उपभोग पसंद है वे तुरंत उसे ले सकता है।  इस माध्यम से उपभोकता का बाज़ार जाना वस्तु पसंद करने, आने जाने में जो समय लगता है वो बच जाता है । 
ये वर्तमान काल में आवश्यक हो गया है । व्यापारी को भी व्यापार  में मदद मिल रही है। वो भी कम समय में अधिक लोगो से जुड़ सकता है और अपने उत्पाद की खूबियाँ उपभोक्ता तक पहुँचा सकता  है। 
वर्तमान समय में डिजिटल मार्केटिंग की मांग –





 [Future of Digital Marketing in Hindi]
डिजिटल मार्केटिंग क्या है? 





वर्तमान समय में डिजिटल मार्केटिंग की मांग| 
परिवर्तन जीवन का नियम है , यह तो आप सब जानते ही हैं। पहले समय में और आज के जीवन में कितना बदलाव हुआ है और आज इंटरनेट का जमाना है । हर वर्ण के लोग आज इंटरनेट से जुड़े है,  इन्ही सब के कारण सभी लोगो को एक स्थान पर एकत्र कर पाना आसान है जो पहले समय में सम्भव नही था । इंटरनेट के जरिये हम सभी व्यवसायी और ग्राहक का तारतम्य स्थापित भी कर सकते हैं। 
डिजिटल मार्केटिंग की मांग वर्तमान समय में बहुत प्रबल रुप में देखने को मिल रही है। व्यापारी जो अपना सामान बना रहा है , वो आसानी से ग्राहक तक पहुंचा रहा है।  





इससे डिजिटल व्यापार को बढ़ावा मिल रहा है । 
पहले विज्ञापनो का सहारा लेना पड़ रहा था। ग्राहक उसे देखता था, फिर पसंद करता था , फिर वह उसे खरीदता था। परंतु अब सीधा उपभोक्ता तक सामान भेजा जा सकता है । हर व्यक्ति गूगल, फेसबुक , यूट्यूब आदि उपयोग कर रहा है, जिसके द्वारा व्यापारी अपना उत्पाद-ग्राहक को दिखाता है । यह व्यापार सबकी पहुंच में है- व्यापारी व उपभोक्ता की भी। 
हर व्यक्ति को आराम से बिना किसी परिश्रम के प्रतयेक  उपयोग की चीज़ मिल जाती है। व्यापारी को भी यह सोचना नही पड़ता कि वह अखबार, पोस्टर, या विज्ञापन का सहारा ले। सबकी सुविधा के मद्देनजर इसकी मांग है। लोगों का विश्वास भी डिजिटल मार्किट की ओर बड़   रहा है। यह एक व्यापारी के लिये हर्ष का विषय है। कहावत है “ जो दिखता है वही बिकता है” – डिजिटल मार्किट इसका अच्छा उदाहरण है ।  





डिजिटल मार्केटिंग के प्रकार [Types of Digital Marketing]
डिजिटल मार्केटिंग क्या है? 





डिजिटल मार्केटिंग के प्रकार| 
सबसे पहले तो आपको यह बता दे कि डिजिटल मार्केटिंग करने के लिये ‘इंटरनेट’ ही एक मात्र साधन है। इंटरनेट  पर ही हम अलग-अलग वेबसाइट के द्वारा डिजिटल मार्केटिंग कर सकते हैं । इसके कुछ प्रकार के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं –  





(i) सर्च इंजन औप्टीमाइज़ेषन या SEO
यह एक ऐसा तकनीकी माध्यम है जो आपकी वेबसाइट को सर्च इंजन के परिणाम पर सबसे ऊपर जगह दिलाता है जिससे दर्शकों की संख्या में बड़ोतरी होती है। इसके लिए हमें अपनी वेबसाइट को कीवर्ड और SEO guidelines के अनुसार बनाना होता है। 





 (ii) सोशल मीडिया (Social Media)
सोशल मीडिया कई वेबसाइट से मिलकर बना है – जैसे Facebook, Twitter, Instagram, LinkedIn, आदि । सोशल मीडिया के माध्यम से व्यक्ति अपने विचार हजारों लोगों के सामने रख सकता है । आप भली प्रकार सोशल मीडिया के बारे में जानते है । जब हम ये साइट देखते हैं तो इस पर कुछ-कुछ अन्तराल पर हमे विज्ञापन दिखते हैं यह विज्ञापन के लिये कारगार व असरदार जरिया है। 





 (iii) ईमेल मार्केटिंग (Email Marketing)
किसी भी कंपनी द्वारा अपने उत्पादों को ई-मेल के द्वारा पहुंचाना ई-मेल मार्केटिंग है। ईमेल मार्केटिंग हर प्रकार से हर कंपनी के लिये आवश्यक है क्योकी कोई भी कंपनी नये प्रस्ताव और छूट ग्राहको के लिये समयानुसार देती हैं जिसके लिए ईमेल मार्केटिंग एक सुगम रास्ता है।  





(iv) यूट्यूब चेनल (YouTube Channel)
सोशल मीडिया का ऐसा माध्यम है जिसमे उत्पादक अपने उत्पादों को लोगों के समक्ष प्रत्यक्ष रुप से पहुंचाना है। लोग इस पर अपनी प्रतिक्रया भी व्यक्त कर सकते हैं। ये वो माध्यम है जहां बहुत से लोगो की भीड़ रह्ती है या यूं कह लिजिये की बड़ी सन्ख्या में users/viewers यूट्यूब पर रह्ते हैं।  ये अपने उत्पाद को लोगों के समक्ष वीडियो बना कर दिखाने का सुलभ व लोकप्रिय माध्यम है। 





 (v) अफिलिएट मार्केटिंग (Affiliate Marketing)
वेबसाइट, ब्लोग या लिंक के माध्यम से उत्पादनों के विज्ञापन करने से जो मेहनताना मिलता है, इसे ही अफिलिएट मार्केटिंग कहा जाता है। इसके अन्तर्गत आप अपना लिंक बनाते हैं और अपना उत्पाद उस लिंक पर डालते है । जब ग्राहक उस लिंक को दबाकर आपका उत्पाद खरीदता है तो आपको उस पर मेहन्ताना मिलता है। 





(vi) पे पर क्लिक ऐडवर्टाइज़िंग या PPC marketing
जिस विज्ञापन को देखने के लिए आपको भुगतान करना पड़ता है उसे ही पे पर क्लिक ऐडवर्टीजमेंट कहा जाता है। जैसा की इसके नाम से विदित हो रहा है की इस पर क्लिक करते ही पैसे कटते हैं । यह हर प्रकार के विज्ञापन के लिये है ।यह विज्ञापन बीच में आते रह्ते हैं। अगर इन विज्ञापनो को कोई देखता है तो पैसे कटते हैं । यह भी डिजिटल मार्केटिंग का एक प्रकार है।  





(vii) एप्स मार्केटिंग (Apps Marketing)
इंटरनेट पर अलग-अलग ऐप्स बनाकर लोगों तक पहुंचाने और उस पर अपने उत्पाद का प्रचार करने को ऐप्स मार्केटिंग कहते हैं । यह डिजिटल मार्केटिंग का बहुत ही उत्तम रस्ता है। आजकल बड़ी संख्या में लोग स्मार्ट फ़ोन का उपयोग कर रहे हैं । बड़ी-बड़ी कंपनी अपने एप्स बनाती हैं और एप्स को लोगों तक पहुंचाती है।  





डिजिटल मार्केटिंग की उपयोगिताएं – [Uses of Digital Marketing in Hindi]
डिजिटल मार्केटिंग क्या है?
डिजिटल मार्केटिंग की उपयोगिताएं | 
डिजिटल मार्केटिंग की उपयोगिता के बारे में हम आप को बता रहे हैं – 
(i) आप अपनी वेबसाइट पर ब्रोशर बनाकर उस पर अपने उत्पाद का विज्ञापन लोगों के लेटेर-बॉक्स पर भेज सकते हैं। कितने लोग आपको देख रहे हैं यह भी पता लगाया जा सकता है।  





(ii) वेबसाइट ट्रेफ़िक- सबसे ज्यादा दर्शकों की भीड़ किस वेबसाइट पर है – पहले ये आप जान ले , फिर उस वेबसाइट पर अपना विज्ञापन डाल दें ताकी आपको अधिक लोग देख सकें । 





 (iii) एटृब्युषन मॉडलिंग – इसके द्वारा ह्म यह पता कर सकते है की आजकल लोग किस उत्पाद में रुचि ले रहे हैं या किन-किन विज्ञापनों को देख रहे हैं । इसके लिये विशेश टूल का प्रयोग करना होता है जो की एक विशेश तकनीक के द्वारा किया जा सकता है और ह्म अपने उपभोक्ताओं की हरकतें यानी उनकी रुचि पर नज़र रख सकते हैं। 
आप अपने उपभोक्ता से किस प्रकार सम्पर्क बना रहे हैं यह विषय महत्वपूर्ण है। आप उनकी आवश्यक्ता के साथ पसंद पर भी दृष्टी बनाकर रखा करें ऐसा करने से व्यापार में वृद्घि हो सकती है। 
आप पर उनका विश्वास भी अत्यन्त आवश्यक है, की वह विज्ञापन देख कर आपका उत्पाद खरीदने में संकोच न करें तुरंत ले लें। इनके विश्वास को आपने विश्वास देना है। ग्राहक को आश्वासन दिलाना आपका दायित्व है। अगर किसी को सामान पसंद न आये तो उसको बदलने के लिये वो अपना संदेश आप तक पहुंचा सके इसके लिये ईबुक आपकी सहायता कर सकता है। 





 निष्कर्ष [Digital Marketing Kya hai?]
डिजिटल मार्केटिंग एक एसा माध्यम बन गया है जिससे कि मार्केटिंग (व्यापार) को  बढ़ाया जा सकता है। इसके उपयोग से सभी लाभान्वित हैं । उपभोक्ता व व्यापारी के बीच अच्छे से अच्छा ताल-मेल बना रहे हैं , इसी सामजस्य को डिजिटल मार्केटिंग द्वारा पूरा किया जा सकता है । डिजिटल मार्केटिंग आधुनिकता का एक अनूठा उद्धरण है। 
आशा है की आप भी डिजिटल मार्केटिंग से लाभांवित होंगे। 
“उत्पादो की बहार, हमारा डिजिटल व्यापार।”


Saturday, November 23, 2019

What is FASTag & what are the benefits of using FASTag?



Fastag is the easiest, quickest and cheapest way to pay the toll transaction. Radio Frequency Identification (RFID) technology is used for making toll payments directly from the prepaid or savings account linked to it.











It is fixed on the windscreen of your vehicle and enables you to drive through toll plazas without stopping for cash transactions.


Benefits:


  • No need to pay cash.

  • Reduces Queue time in toll plazas

  • Saves Fuel

  • Reach the destination on time.

  • Get 2.5 % cashback on all toll transactions




Where can I get a FASTag? What is the process of installation?









Indian Highways Management Company Limited (IHMCL) (a company incorporated by National Highways Authority of India) and National Payment Corporation of India (NPCI) are implementing this program with help from Toll Plaza Concessionaires, FASTag Issuer Agencies and Toll Transaction Acquirer (select banks).



After December 1, non-FASTag users will be charged double the fee if they pass through FASTag-only lanes. FASTag is a prepaid tag that enables automatic deduction of toll charges and lets the vehicle pass through the toll plaza without stopping for the cash transaction.


There are 7 Tag classes as per tolling class at the toll plaza of National Highway. These classes are written on FASTag. Issuer can identify the Fastag with classes written on the tag.


FAStags have been made mandatory for all new four wheelers from 1 December, 2017


FASTag is an electronic toll collection system in India, operated by the National Highway Authority of India (NHAI). It employs Radio Frequency Identification (RFID) technology for making toll payments directly from the prepaid or savings account linked to it or directly toll owner.


A FASTag is fixed on front windscreen of the vehicles which enables one to drive through toll plazas without stopping for cash transactions. It employs Radio Frequency Identification (RFID) technology which makes toll charges payment possible directly from the prepaid accounts linked to it.


FASTag is designed to pass the benefits of round trip savings automatically. ... The first time a customer crosses the toll, Rs. 30 is deducted from the FASTag. When the customer comes back, then the difference between Rs. 45 and Rs. 30, which is Rs. 15 is deducted.


FASTag is designed to pass the benefits of round trip savings automatically. ... The first time a customer crosses the toll, Rs. 30 is deducted from the FASTag. When the customer comes back, then the difference between Rs. 45 and Rs. 30, which is Rs. 15 is deducted.


Online FASTag Recharge


Visit www.fastag with your username and password.


Go to Payments Recharge account.


Select Tag/CUG wallet recharge as applicable and choose the payment made as per your convenience.


Choose from one of the following options available.


All required documents for FASTag should be in the name of the owner of the vehicle. If the vehicle owner is not present at the time of application, driver will need to submit his photo ID proof. A valid driving license would be sufficient for Address & ID proof. FASTag has a onetime Fee of Rs. 200 + service tax.





Read More Articles in Hindi :-










How does Fastag work?










Fastag uses RFID Technology. Every toll now has ETC Lane, which has RFID value reading facility with RFID Reader equipped at the top toll gate area.



As Fastag is sticked to the front glass panel, when we pass through the RFID Reader range, RFID tag gets powered by the Wireless power from the Reader.


As it gets powered, the circuit starts transmitting the RFID Tag Value (Which is specific to each tag). RFID Reader now reads the data, tries to query in it server.


If the RFID value is registered with Fastag, the Toll gate opens otherwise it won’t.




























फास्टटैग अकाउंट कैसे खुलवाया और कैसे रिचार्ज करे How Do I Use, Activate, or Recharge a FASTag



Fastag एक्टीवेट करने का तरीका :-



Fastag Activation Messages Images 2019








सेल्फ-एक्टीवेशन: FASTag 'बैंक-न्यूट्रल' है, अर्थात, जब आप POS टर्मिनल या ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म से इसे खरीदते हैं तो कोई भी बैंक FASTag को प्री-असाइन नहीं किया जाता है। ऑनलाइन FASTag DIY (Do-It-Yourself) की पर आधारित है, जहां आप 'My FASTag मोबाइल App में वाहन के विवरण दर्ज करके इसे खुद से ही एक्टिवेट कर सकते हैं। एंड्रॉइड स्मार्टफोन उपयोगकर्ता Google Play Store से My FASTag App डाउनलोड कर सकते हैं और iPhone यूजर्स Apple Store से ऐप डाउनलोड कर सकते हैं।





आपको मोबाइल ऐप से मिलेगी सारी जानकारी 





इसके बाद, आपके पास My FASTag मोबाइल ऐप का उपयोग करके अपने किसी मौजूदा बैंक खाते के साथ FASTag को जोड़ने की सुविधा मिलती है। NHAI (नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) प्रीपेड वॉलेट की सुविधा My FASTag मोबाइल ऐप में भी उपलब्ध है, जहां आप पैसे डाल सकते हैं और अपने टोल शुल्क को सीधे बैंक खाते से कटवाने के बजाय प्रीपेड वॉलेट से भुगतान कर सकते हैं।





हम आपको पहलेही बता चुके है की फास्टैग कैसे काम करता है कहा से खरीदे सकते है ये सब आपको बता चुके है ।




















फास्टैग का अकाउंट खुलवाने के लिया डाक्यूमेंट्स क्या देने होंगे 



Fastag account के समय, आपको बैंक की केवाईसी पॉलिसी के अनुसार केवाईसी (नो योर कस्टमर) दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता होगी। केवाईसी  के अलावा, आपको FASTag के लिए आवेदन के साथ वाहन का पंजीकरण प्रमाणपत्र (RC) भी बैंक में जमा करना होगा।





How to recharge Fastag Card :कैसे रिचार्ज करें फास्टैग 



यदि FASTag आपके बैंक खाते से पहले से जुड़ा हुआ है, तो प्रीपेड वॉलेट में अलग से पैसे जमा करने की आवश्यकता नहीं है। आपको केवल यह सुनिश्चित करने की जरुरत है कि टाल भुगतान के लिए आपके FASTag जुड़े बैंक खाते में पर्याप्त पैसे हो। हालांकि, अगर आपने FASTag को प्रीपेड वॉलेट (NHAI प्रीपेड वॉलेट) से लिंक किया है, तो इसे विभिन्न माध्यमों जैसे चेक के माध्यम से या UPI, डेबिट कार्ड ,क्रेडिट कार्ड, NEFT,नेट बैंकिंग के जरिए रिचार्ज किया जा सकता है। साथ ही, अलग-अलग माध्यमों से FASTag खाते को रिचार्ज करते समय अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा।






KYC FASTag खाताधारक के लिए:  FASTag प्रीपेड वॉलेट में 20,000 रुपये से अधिक रुपये नहीं रख सकते हैं। महीने में दोबारा पैसे डालने की सीमा भी 20,000 रुपये रखी गई है।


पूर्ण केवाईसी FASTag खाता धारक के लिए: इस प्रकार के FASTag खाते में उनके FASTag प्री-वॉलेट में 1 लाख रुपये से अधिक रुपये नहीं जमा कर सकते हैं। भारतीय राजमार्ग प्रबंधन कंपनी लिमिटेड (IHMCL) की वेबसाइट के अनुसार, इस खाते में कोई मासिक दोबारा पैसे जमा नहीं कर सकते हैं।


फास्टैग के लिए देने होगा कितना पैसा


प्रमाणित बैंकों प्रत्येक FASTag के लिए अधिकतम 100 रुपये का शुल्क ले सकते हैं, जो कि नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा तय किया गया है। हालांकि, प्रभार जारी करने वाले वास्तविक टैग बैंक द्वारा तय किए गए हैं और अलग-अलग बैंकों में इसके चार्ज अलग-अलग हो सकते हैं। 


जाने आपके फायदे की बात 




उदारण के तौर पर एचडीएफसी बैंक 400 रुपये में फास्टैग दे रहा हैं। जिसमें  100 रुपये टैग जारी करने की फीस, 200 रुपये रिफंडेबल सिक्योरिटी डिपोजिट, 100 रुपये वॉलेट बनाते समय वॉलेट में पहली रिचार्ज राशि के तौर पर ले रहे हैं।  आप दो या दो से अधिक वाहनों के साथ एक FASTag का उपयोग नहीं कर सकते, आपको दो वाहनों के लिए दो अलग FASTags खरीदने होंगे।




IHMCL वेबसाइट के अनुसार, यदि आप टोल प्लाजा से 10 किमी की सीमा के भीतर रहते हैं, तो आप अपने FASTag के माध्यम से भुगतान किए जाने वाले टोल पर रियायत का लाभ उठा सकते हैं। ऐसे में, आपको आवश्यक दस्तावेजों को जमा करना होगा। जैसे की अपना निवास स्थान, निकटतम पीओएस स्थान जो यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपका आवासीय पता किसी विशेष टोल प्लाजा के 10 किमी के भीतर है। एक बार पता सत्यापित होने के बाद, आप अपने वाहन को सौंपे गए फास्टैग के माध्यम से भुगतान किए गए टोल पर रियायत का लाभ उठा सकते हैं।